एक कदम बढ़ा आसमा की ओर तू ! अपने हौसलो को आँधियो में बांध तू, अपनी ताकत को फिर से पहचान तू, छोड़कर सारी रंजिशे, अपने लक्ष्य पर लगा निसान तू, एक दिन पा ही जायेगा मंज़िल... लगा के मेहनत तमाम तू, अपनी मुसीबतों को झड़ -झकोड तू, एक कदम बढ़ा आसमा की ओर तू ! तू बना ले तूफानों मे कस्तिया... बंज़रो मे बस्तिया, हटा ! पलकों से हताश तू, बढ़ा होंठो पर प्यास तू, जिन नज़रो मे खो गयी है रोशनियाँ, जिस बदन से कभी कड़कती थी बिजलियाँ, उन नज़रो से देख तो... एक ख्वाब तू, बिखरे पड़े सपनो को फिर से बटोर तू, एक कदम बढ़ा आसमा की ओर तू, क्यू गर्दिशो मे पड़ा है मन तेरा, क्यू पग-पग पर बैठ रहा है तन तेरा, क्यू ह्रदय है बेचैन तेरा, तुझे झोपड़ियों मे रौशनी लाना है, तुझे रोशनी मे ही जीवन बिताना है, बना अपना मन बज्र तू, बस ज़ुबा पर ला सफलता का ज़िक्र तू, थोड़ा तो बना अपने जिस्म को कठोर तू, एक कदम बढ़ा आसमा की ओर तू.. ये मंज़िल.. ये रास्ते, है जीवन मरण के फासले, क्यू बीच मे ही फसे पाँव तेरे, क्यू माथे पर है सिकन तेरे, क्यू होंठो पर है अड़चन तेरे, लगा थोड़ा सा तो ज़ोर तू, बढ जायेगा आसमा की ओर तू,
Aandhi chal rhi hai.. Kisi ka ghar loot rha hai.. Aisa q lag rha, Manavta ka diya boojh rha hai.... Hum pareshan hai... Ek dusre ko jaan ke v anjan hai.. Aisa q lag rha, Manavta ka diya boojh rha hai.... Na jaane q hum apne tak seemit hone lage.. Sadak par aankh band kar ke chalne lage... Gale lag kar, ek dusre se phir v biccharne lage... Aisa q lag rha, Manavta ka diya hum boojhane lage ! Na jaane hum q hindu muslim karte hai.. Bharat me rah kr hi bharat ko baatTe hai Q sirf kagajo par nyay dikhaya jaa rha hai Haqiqat me use dhuaa (धूंआ ) ki tarah udaya jaa rha hai... Aisa q lag rha, Manavta ka diya boojh rha hai.... https://yourstoryclub.com/poetry-and-poem/hindi-poem-humanity-and-mankind